नई दिल्ली: भारत में सड़क पर नमाज (Namaaz) पढ़ने के मुद्दे पर राजनीति गरमा गई है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि जब सड़क पर होली खेली जा सकती है, पटाखे जलाए जा सकते हैं तो नमाज क्यों नहीं पढ़ी जा सकती। वहीं उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ईद के मौके पर सभी जिलों की पुलिस को आदेश जारी किए थे कि सड़कों पर नमाज नहीं पढ़ी जाएगी और ऐसे आयोजन सिर्फ तय जगहों पर ही होंगे। मेरठ पुलिस ने भी इस संबंध में निर्देश जारी किए थे।

मुस्लिम आबादी रहती 

यह पहली बार नहीं है जब सड़क पर नमाज पढ़ने को लेकर राजनीतिक बवाल मचा हो। यह मुद्दा लंबे समय से देश की राजनीति में छाया हुआ है। हैरान करने वाली बात यह है कि जहां भारत में कई मुस्लिम सड़क पर नमाज पढ़ने पर अड़े हैं, वहीं कई इस्लामिक देशों में यह गैरकानूनी है और ऐसा करने पर भारी जुर्माने का भी प्रावधान है। आज हम आपको पाकिस्तान, सऊदी अरब और इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम आबादी वाले देशों में सड़क पर नमाज पढ़ने को लेकर बनाए गए नियमों के बारे में बताएंगे। यहां हम जानेंगे कि किन देशों में ऐसा करना गैरकानूनी है। इस्लाम का उदय अरब देशों में हुआ और यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है।

कड़े कानून भी हैं

इसके बावजूद, ज़्यादातर मुस्लिम देशों में सड़क पर या खुले में नमाज़ पढ़ना गैरकानूनी है और इसे लेकर कड़े कानून भी हैं। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करते पाया जाता है, तो उस पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई थी ताकि सड़कों पर कोई धार्मिक गतिविधि न हो और यातायात में कोई व्यवधान न आए। इंडोनेशिया में बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां 8 लाख से ज़्यादा मस्जिदें हैं। इसके बावजूद, यहां सड़क पर नमाज़ नहीं पढ़ी जाती। मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग मस्जिदों में ही नमाज़ पढ़ते हैं।

नमाज़ पढ़ना गैरकानूनी 

इतना ही नहीं, इंडोनेशिया में लोगों की परेशानियों को देखते हुए यहां की सरकार ने नमाज़ के दौरान लाउडस्पीकर की आवाज़ कम रखने के निर्देश भी दिए थे।संयुक्त अरब अमीरात में भी सड़क पर नमाज़ पढ़ना गैरकानूनी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां का प्रशासन सड़क पर गाड़ी रोककर नमाज़ पढ़ने वालों पर भारी जुर्माना लगाता है। यहां ऐसा करने वालों पर 500 दिरहम का जुर्माना लगाया जाता है। इसके अलावा सऊदी अरब प्रशासन ने मस्जिदों के बाहरी लाउडस्पीकर पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। सऊदी अरब, कतर, पाकिस्तान, कुवैत जैसे देशों में भी सड़क पर नमाज़ नहीं पढ़ी जाती है।

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