नई दिल्लीः अयोध्या नगरी में बने भव्य़ राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन हो गया। उनहोंने 86 साल कि उम्र में शनिवार सुबह 6:45 पर वाराणसी में आखिरी सांस ली, जो काफी दिनों से बीमार भी चल रहे थे। आचार्य के शव का अंतिम संस्कार मनिकर्निका घाट पर किया जाएगा। उनके निधन से अयोध्या और काशी में शोक की लहर है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने सहित देश के तमाम नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है। जनवरी महीने में आयोध्या में बने भगवान श्री राम के मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई दी। उनके ही दिशा-निर्देश पर राम मंदिर में मंत्रोच्चार से पूजा-अर्चना कराई गई थी।

पीएम मोदी और सीएम योगी ने निधन पर जताया दुख

अयोध्या में बने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भव्य कार्यक्रम में मुख्य भूमिका निभाने वाले आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी ने दुख जताया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा देश के मूर्धन्य विद्वान और साङ्गवेद विद्यालय के यजुर्वेदाध्यापक लक्ष्मीकान्त दीक्षित जी के निधन का दुःखद समाचार मिला।

दीक्षित जी काशी की विद्वत् परंपरा के यशपुरुष थे। काशी विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के लोकार्पण पर्व पर मुझे उनका सान्निध्य मिला। उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। सीएम योगी ने ने भी आचार्य की मौत पर दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर कहा कि काशी के विद्वान व श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुजारी के निधन से गहरा दुख हुआ है। आचार्य जी संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति में दिए गए योगदान के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।

जानिए कौन थे आचार्य?

काशी के निवासी आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित 86 साल के थे, जो काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य मंदिर में भगवान श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई थी। आचार्य काशी के सबसे बड़े विद्वानों में गिने जाते थे। लक्ष्मीकांत दीक्षित मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के रहने वाले थे। कई पीढ़ियों से उनका परिवार अब काशी में जीवन गुजार रहा था। लक्ष्मीकांत दीक्षित यजुर्वेद के बहुत अच्छे विद्वान माने जाते थे।

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