DA HIKE UPDATE: केंद्रीय कर्मचारियों (Central Employee) के महंगाई भत्ते यानी डीए में जल्द ही बंपर बढ़ोतरी होने वाली है, जिसकी आस लगाए एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारी और पेंशनर्स बैठे हैं. केंद्रीय कर्मी और पेंशनर्स को उम्मीद थी कि मोदी सरकार वित्तीय बजट में कुछ खजाने का पिटारा खोलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. अब माना जा रहा है सरकार डीए में 4 फीसदी का इजाफा कर सकती है, जिसके बाद सैलरी में ठीक-ठाक बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.
सैलरी बढ़ोतरी महंगाई में अंधे की लाठी का काम करेगी, जो हर किसी का बजट मजबूत करने के लिए काफी है. मोदी सरकारी की तरफ 8वें वेतन आयोग के गठन नहीं करने का इशारा तो साफ हो चुका है. केंद्रीय कर्मचारियों को बेसब्री से इंतजार है कि जल्द ही उनका महंगाई भत्ता बढ़े. केंद्र सरकार ने आधिकारिक रूप से डीए बढ़ाने की तारीख पर कुछ नहीं कहा है. मीडिया की रिपोर्ट्स में अगस्त के पहले सप्ताह तक का दावा किया जा रहा है.
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कितनी बढ़ जाएगी सैलरी
केंद्र सरकार की तरफ से अगर केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के डीए में 4 प्रतिशत का इजाफा किया जाना संभव माना जा रहा है. इसके बाद डीए बढ़कर 54 फीसदी हो जाएगा. वर्तमान परिस्थितियों में कर्मचारियों को 50 फीसदी डीए का फायदा मिल रहा है. अब 4 फीसदी डीए बढ़ोतरी के बाद सैलरी कितनी छलांग लगाएगी, यह कैलकुलेशन आपको समझना पड़ेगा.
माना जैसे किसी कर्मचारी की सैलरी 30,000 रुपये है तो इसमें 4 फीसदी डीए प्लस कर दिया जाए तो मंथली 1200 रुपये का इजाफआ किया जाएगा. इसका अगर पूरे साल यानी 12 महीने जोड़ दे तो 14,400 रुपये तक की बढ़ोतरी होगी. इतना ही नहीं 30,000 रुपये की जगह अब 31,200 रुपये अकाउंट में आने लगेंगे.
यह राशि किसी बूस्टर डोज का काम करेगी, जो बड़ी आर्थिक सहायता पहुंचाएगी. बढ़े हुए महंगाई भत्ते की दरें 1 जुलाई से प्रभावी मानी जाएंगी, जो हर किसी के लिए बूस्टर डोज की तरह साबित होगा. इससे पहले जो डीए बढ़ाया गया, उसकी दरें 1 जनवरी से लागू मानी गई.
8वें वेतन आयोग पर झटका
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केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय कर्मचारियों को 8वें वेतन आयोग के गठन पर झटका लगता दिख रहा है. सरकार का कदम से लगभग तस्वीर बिल्कुल साफ हो चुकी है. वित्तीय सचिव ने अपने बयान में साफ कर दिया कि सरकार के पास 8वें वेतन आयोग के गठन पर कोई भी सुझाव नहीं है. अगर कर्मचारियों की मांग करते हुए 8वें वेतन आयोग तैयार किया गया तो इसका खामियाजा आम लोगों को महंगाई के रूप में भुगतना होगा.