नई दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक (Wakf Amendment Bill) के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इस विरोध प्रदर्शन को कई मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों का समर्थन भी मिला है। वक्फ बिल पर जेपीसी की अध्यक्षता करने वाले जगदंबिका पाल ने कहा कि हमने सभी मुस्लिम संगठनों से इस बारे में बात की, छह महीने में 118 बैठकें हुईं, तो अब विरोध क्यों किया जा रहा है।
कानून संसद में बनता है
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि जो लोग जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने गए हैं, उन्होंने रिपोर्ट पढ़ी ही नहीं है। विरोध करने वालों के पास कोई आधार नहीं है। वे देश को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। सिर्फ वक्फ ही नहीं, अनुच्छेद 370 और ट्रिपल तलाक के समय भी इसी तरह की अफवाहें फैलाई गई थीं। उन्होंने कहा कि कानून संसद में बनता है, जंतर-मंतर पर नहीं। संसदीय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ विधेयक 2024 पेश किया। विपक्ष के विरोध के बाद सरकार ने जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया।
विधेयक पर आपत्ति जताई
31 सदस्यीय जेपीसी की पहली बैठक 22 अगस्त को हुई। जेपीसी की रिपोर्ट का 16 सदस्यों ने समर्थन किया, जबकि 11 सदस्यों ने इसका विरोध किया। समिति में शामिल विपक्षी सांसदों ने इस विधेयक पर आपत्ति जताई। विपक्षी सांसदों ने इस रिपोर्ट को असंवैधानिक बताया और दावा किया कि यह कदम वक्फ बोर्ड को बर्बाद कर देगा। जेपीसी ने इस विधेयक में 14 संशोधनों को मंजूरी दी। इनमें वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना, बोर्ड में महिलाओं की नियुक्ति, वक्फ संपत्ति, जिला मजिस्ट्रेट की भूमिका, वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का डिजिटलीकरण, अवैध कब्जे को रोकना, वक्फ न्यायाधिकरण की शक्तियों को बढ़ाना, सीईओ की नियुक्ति और वक्फ बोर्ड के ढांचे में बदलाव शामिल हैं।
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