OPINION: नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार पीएम पद एवं गोपनीयता की शपथ लेकर हैट्रिक मार दी। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीयपति द्रौपदी मुर्मू ने नरेंद्र मोदी सहित कई मंत्रियों को भी पद की शपथ दिलाई 18वीं लोकसभा में खिचड़ी सरकार बनी है, जहां किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। भारतीय जनता पार्टी 240 सीटें जीतकर देश की पहले नंबर की पार्टी जरूर बनी, लेकिन बहुमत के जादुई आंकड़े से 32 सीटें कम रह गई।
अलग-अलग राजनीतिक दलों के साथ पीएम मोदी को सरकार चलाना किसी बड़ी चुनौती की तरह होगा। अब सभी के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर बीजेपी 400 सीटें जीतने का दावा कर रही थी, लेकिन मोदी मैजिक पीछे ही रुक गया। राजनीतिक विश्लेषक इसके लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश को मान रहे हैं, जहां बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
बीजेपी को नुकसान की ये बनी वजह
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा नुकसान भुगतना पड़ा। हद तो तब हो गई जब राम नगरी अयोध्या यानी फैजाबाद सीट पर भी बुरी हार का सामना करना पड़ा। जिस राम मंदिर के नाम पर बीजेपी देशभर में 400 सीटें जीतने का ताना बाना बुन रही थी, उसे अयोध्या की जनता ही हरा दिया।
इतना ही नहीं पश्चिम से लेकर पूर्वांचल तक बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो हार की वजह ठाठुरों की नाराजगी और कुछ टिकट वितरणों को माना जा रहा है। इसके अलावा विपक्ष के संविधान खत्म करने वाले दावे को जनता ने स्वीकार किया। इलेक्शन में सपा कांग्रेस लगातार बीजेपी पर संविधान में बदलाव करने का आरोप लगाती रही, जिसका कई सीटों पर असर देखने को मिला।
बीजेपी के कुछ नेताओं ने संविधान में फेरबदल की बात कही, जिसका असर वोटिंग पर पड़ा। इसके अलावा मोदी की बुल्डोजर नीति का भी जमीन पर विरोध देखने को मिला, जिसके चलते लोगों में विरोधाभास था।
यूपी में बहुत पीछे रुक गई बीजेपी
उत्तर प्रदेश में मोदी-योगी के नाम पर 80 सीटों का दावा करने वाली बीजेपी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। बीजेपी समर्थित एनडीए को 36 सीटें मिली। बीजेपी कुल 33 सीटों पर रुक गई। साल 2019 में बीजेपी को 62 सीटें मिली थी, जो 29 सीटों का नुकसान हुआ। देश की सबसे बड़ी पार्टी सपा बनी, जिसे 37 सीटें मिली, जबकि उसकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत मिली। मायावती का साल 2014 की तरह इस बार भी खाता नहीं खुला, जो कई जगह वोट कटबा बनकर रह गई।