नई दिल्ली। देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है, जो भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। इस्तीफे से पहले अपनी अंतिम मंत्री परिषद की बैठक में, उन्होंने चुनावी परिणामों पर अपने विचार साझा किए और कहा कि हार-जीत राजनीति का हिस्सा है। यह कदम देशभर में चर्चा का विषय बन गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस्तीफा: क्या हैं कारण?
नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफा देने से पहले उन्होंने अपनी मंत्री परिषद के सदस्यों से कहा कि हमने दस साल तक अच्छा काम किया है और आगे भी करेंगे। उनका यह वक्तव्य उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है।
राजनीतिक जीवन की नई शुरुआत
मोदी ने अपने सहयोगियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि आप सभी ने बहुत मेहनत की है और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरे हैं। उन्होंने सभी मंत्रियों का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि यह हार-जीत राजनीति का हिस्सा है और हमें इससे सीख लेनी चाहिए।
राष्ट्रपति से मुलाकात और इस्तीफा
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंपा। राष्ट्रपति भवन के आधिकारिक एक्स हैंडल पर नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू की तस्वीरें भी शेयर की गई हैं। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति ने त्यागपत्र स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों से नई सरकार के गठन तक अपने पद पर बने रहने का अनुरोध किया।
मोदी के इस्तीफे के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राजनीति में नए समीकरण बनने की संभावना है। लोकसभा चुनाव 2024 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए ने तीसरी बार जीत दर्ज की है, लेकिन बीजेपी बहुमत का आंकड़ा छूने से चूक गई। बीजेपी को चुनाव में कुल 240 सीटें मिली हैं।
बीजेपी को अब जेडीयू और टीडीपी से समर्थन की उम्मीद है। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने 12 सीटें जीती हैं, जबकि तेलुगु देशम पार्टी (TDP) 16 सीटें जीतने में कामयाब रही। इन दोनों पार्टियों के समर्थन से बीजेपी को सरकार बनाने में मदद मिल सकती है। पीएम मोदी ने सत्ता और संगठन दोनों जगह जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की बात कही है। उनका मानना है कि जनता ने उन्हें जो जिम्मेदारी दी है, उसे उन्होंने पूरी ईमानदारी से निभाया है और आगे भी निभाते रहेंगे।