Power Of Silence: चुप रहने के इतने हैं फायदे, जानकर हो जाएंगे हैरान

Timesbull

Power Of Silence: बेहतर बोलने के तो अनेकों फायदे हैं। लेकीन क्या आप जानते हैं कि चुप रहने के भी बहुत सारे फायदे हैं। सबसे बड़ी वजह यही है कि अनेकों धर्मों मे चुप रहने या मौन को बहुत महत्व दिया गया है। इसके साथ ही विज्ञान और वैज्ञानिकों ने भी इसे लेकर कई बातें कही है। वैज्ञानिकों के पे अनुसार सेहत का मौन से बहुत गहरा संबंध है। मौन रहने से दिमाग में शान्ति कायम होती है और इस वजह से भी अनेकों लाभ मिलता है।

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ऐसा कहा जाता है कि मौन से एकाग्रता का प्रवेश होता है। आप एक चीज पर अपना ध्यान लगाना चाहते हैं तो इसमें मौन आपकी सहायता करता है। यही वजह है कि दुनिया भर में जितने भी साधु और संत हुए उन्होने सिद्धि प्राप्त करने के लिए मौन का ही सहारा लिया।

दुख की वजह है अधिक बोलना

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हमारे जीवन में अनेकों दुखों का कारण केवल बोलना ही है। कहते हैं ना कि बोलना एक कला है। लेकीन कम बोलना सबसे बड़ी कला है। बोलकर हम केवल अपनी मुसीबतों को बढ़ाते हैं। इंसान की फितरत होती है कि वो हमेशा कुछ से कुछ बोलता रहता है। ये उसके दुखों का कारण भी बन जाता है। अगर इंसान मौन को अपना लें तो उसे जीवन में अनेकों कष्ट से बचा जा सकता है।

आप जितनी भूख उतना भोजन खाते हैं, जितनी जरूरत उतना कार्य करते हैं, लेकिन क्या आपने इस बारे में कभी सोचा है कि आप कितना बोलते हैं। लेकीन आप बोलते वक्त में इतना जध्यान क्यों नहीं रखते हैं। अगर आप जरूरत के मुताबिक बोलेंगे तो आप अनेकों मुसीबत से बच जाएंगे।

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क्यों किसी की सुननी है और क्यों किसी को सुनाना है

मनुष्य की प्रवृत्ति ऐसी है की वो अपने मन में चल रही बातों को मन में नहीं रख पाता है। जब तक मनुष्य अपनी बात किसी को नहीं बताता है। तब तक उसे चैन नहीं पड़ता है। ये बाते किसी अन्य या तीसरे व्यक्ति से संबंधित हो तो सुनने-सुनाने का काम और भी दिलचस्पी से होता है।

आमतौर पर आपकी बात कोई सुनता है और आप किसी की बात को सुनाते हैं और यहीं काम आप दिन भर करते रहते हैं। अपना समय, अपना जीवन, अपनी सोच-समझ और वो कीमती पल जिसमें जिया जा सकता है और जिसमें आनंद प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए अगर आप इस सुनने सुनाने के माहौल से बाहर नहीं निकलते हैं तो फिर आप बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं।

जानिए मौन की शक्ति के बारे में

जितनी भी बुराइयां आति है आपसी कलह होता है। सभी झड़गा झंझट, सब कुछ केवल बोलने की वजह से हो होता है। यही वजह है कि जानकार हमेशा आमतौर पर चुप रहने की सलाह देते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धत्व, साधु और संत हुए वे एकांत की ओर गए, क्योंकि उन्हें अधिक बोलना न पड़े और अधिक सुनना न पड़े।

डिस्क्लेमर: ऊपर लिखी गईं तमाम बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। हम इनमें से किसी भी बात की सत्यता की पुष्टि नहीं करते हैं। ये खबर केवल आम धारणा के अनुसार लिखी गईं है।

 

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