नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऑनलाइन गेमिंग के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ता ने कई ऐसी वेबसाइट का हवाला दिया था, जिसमें लोगों से पैसे लगाकर किस्मत आजमाने को कहा जाता है। याचिका में सनी लियोन, काजल अग्रवाल, तमन्ना भाटिया, मिमी चक्रवर्ती जैसी मनोरंजन जगत की कई हस्तियों को भी पक्ष बनाया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा था कि ये सभी लोग ऐसी वेबसाइट को बढ़ावा दे रहे हैं। इससे रोजाना हजारों मासूम लोग इनमें पैसे गंवा रहे हैं। हैदराबाद के रहने वाले शेख रहीम ने बताया था कि 2016 में उन्होंने भी ऑनलाइन गेम में किस्मत आजमाते हुए 16 लाख रुपये गंवा दिए थे।
अनुमति दे रहे हैं
इसके बाद जब उन्होंने जांच की तो पता चला कि ऐसी वेबसाइट हर दिन लोगों से लाखों-करोड़ों रुपये ऐंठ रही हैं। इनमें से कई कंपनियां विदेशी हैं।इस तरह भारत का पैसा भी देश से बाहर जा रहा है। याचिका में बताया गया था कि जब भी किसी बैंक खाते में कोई संदिग्ध लेनदेन होता है तो बैंकों का कर्तव्य है कि वे इसकी जांच करें। इसके बाद बैंक को ऐसे खातों को ब्लॉक करना होता है, लेकिन भारत में कई बैंक ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को खाते चलाने की अनुमति दे रहे हैं।
हर घंटे उन खातों में भारी मात्रा में पैसे जमा होते रहते हैं, लेकिन बैंक कभी उनकी जांच नहीं करते। सरकार भी ऐसी वेबसाइटों पर प्रतिबंध नहीं लगा रही है। याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से ऐसी सभी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने के लिए कहे। अपनी याचिका की पैरवी करने के लिए याचिकाकर्ता खुद चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने पेश हुए।
याचिका दायर की थी
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने उनसे पूछा कि जब पहले वह खुद गेम खेलते थे, तो अब यह उनके खिलाफ क्यों हो गया है? याचिकाकर्ता ने जवाब दिया कि वह देश के सभी लोगों को ऐसी बुरी लत से बचाना चाहते हैं। याचिका की फाइल पढ़ते हुए जजों ने पाया कि शेख रहीम ने सबसे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि हाई कोर्ट ने इन वेबसाइट को बंद करने का आदेश देने में रुचि दिखाई थी, लेकिन बाद में याचिका को ज्ञापन के तौर पर केंद्र सरकार के आईटी मंत्रालय को भेज दिया। सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए अब वह सुप्रीम कोर्ट आए हैं। इस पर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, ‘अगर ऐसा है तो आप फिर से हाई कोर्ट जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई नहीं करेगा।
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