नई दिल्लीः 18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद नरेंद्र मोदी बैसाखी के सहारे लगातार तीसरी बार पीएम तो बन गए , लेकिन अभी कई पेंच फंसे हुए हुए हैं। नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट मंत्रियों के विभागों का भी बंटवारा हो गया, जिसमें बीजेपी की वाह वाही रही। कुछ को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी ने बड़े मंत्रालय अपने पास रखे हैं, जिसे लेकर विपक्षी राजनीतिक दलों ने हमला बोला।
शपथ लेने के कुछ ही दिन पहले नरेंद्र मोदी सरकार के सामने स्पीकर पद का चुनाव कड़ी कसौटी बनता जा रहा है। दूसरे के कंधों पर सवार होकर सरकार चला रहे पीएम नरेंद्र मोदी 18वीं लोकसभा के स्पीकर के चयन पर उलझते दिख रहे हैं, जिसकी वजह जेडीयू और टीडीपी की मांग बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि बीजेपी ने बड़े विभाग सब अपने मंत्रियों को दे दिए तो ऐसे में टीडीपी स्पीकर का पद लेना चाहती है। बीजेपी किसी भी कीमत पर इस पद को अपने पास ही रखना चाहती है, क्योंकि सदन में स्पीकर की काफी अहमियत होती है।
टीडीपी स्पीकर के पद के लिए दे रही यह हवाला
तेलगू देशम पार्टी(टीडीपी) हर हाल में सदन के स्पीकर का पद मांग रही है, लेकिन बीजेपी इस पर राजी होती नहीं दिख रही। चंद्रबाबू नायडू चाहते हैं कि पहले जब एनडीए के समर्थन से अटल बिहार वाजपेयी देश के पीएम बने तो टीडीपी को स्पीकर का पद दिया गया था, जिसे फॉर्मूले को अब लागू कराना चाहती है।
हालांकि, बीजेपी की तरफ से अभी इस पर कुछ नहीं कहा गया है। टीडीपी के सूत्रों की मानें तो पार्टी इस पद के लिए पीछे हटने को तैयार नहीं है, जिसकी वजह से अभी तक भी नाम पर मुहर नहीं लग पाई है। जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने बीजपी समर्थित स्पीकर के समर्थन का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन अभी भी स्थिति साफ नहीं है।
दूसरी तरफ विपक्षी इंडिया गठबंधन ने भी स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है। संजय राउत ने तो टीडीपी से स्पीकर पद पर उम्मीदवार देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि इंडिया गठबंधन टीडीपी के उम्मीदवार का समर्थन करेगा।
कहीं बीजेपी के लिए फांस ना बन जाए स्पीकर?
लोकसभा में स्पीकर के पद की बड़ी अहमियत होती है, जिसके बिना सदन को चलाना असंभव है। जब सांसद दल छोड़कर इधर-उधर को भागते हैं तो उस समय स्पीकर के पद की गरिमा और भी बढ़ जाती है। इसलिए बीजेपी हर हाल में इस पद को अपने पास ही रखना चाहती है।