नई दिल्ली। भारत में चंदन की लकड़ी का बहुत महत्व है। चंदन की शुद्ध लकड़ी का बहुत से पूजा-पाठ धार्मिक कार्य एवं त्वचा के लिए उपयोग किया जाता है। कीमती होने के साथ-साथ इस चंदन की लकड़ी का भारत में बहुत उपयोग और मांग है। दक्षिण भारत के कई राज्यों में चंदन की लकड़ी की चोरी और स्मगलिंग होती है।
बहुत कम लोगों को भी यह पता है कि चंदन की लकड़ी के जैसे ही एक और ऐसी लकड़ी है जो कि बहुत महंगी कीमत पर बिकती है और वह है अगरवुड की लकड़ी अकीलारिया के पेड़ से निकाली जाती है। अगरवुड दुनिया भर में अकीलारिया के नाम से जानी जाती है। यह लकड़ी जापान, चीन, भारत और साउथ ईस्ट एशियन कंट्री में ही पाई जाती है। आइए जानते हैं इस लकड़ी के बारे में खास बातें
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देवताओं के लिए लकड़ी के नाम से मशहूर है यह लकड़ी दुनिया की सबसे कीमती लकड़ी में से एक है। बाजार में इस लकड़ी की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। इस लकड़ी की खासियत, कीमत और कम उपलब्धता के कारण इसे लोग देवताओं की लकड़ी कहते हैं।
इस लकड़ी का तेल 2500000 रुपए प्रति किलोग्राम बिकता है। अकीलारिया लकड़ी से तेल बनाया जाता है। इस तेल का उपयोग इत्र और परफ्यूम बनाने के लिए किया जाता है। यही कारण है कि इसका तेल बाजार में बहुत महंगा है। अगर आप एक किलोग्राम तेल खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको 2500000 रुपए तक पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं।
तेजी से बढ़ रही है अकीलारिया की लकड़ी की तस्करी, स्मगलिंग की खासियत और महंगाई के चलते चीन और जापान में अकीलारिया के पेड़ से चोरी-छिपे अंधाधुंध तरीके से लकड़ी को काटकर तस्करी किया जा रहा है। यही कारण है कि इस पेड़ से अब इन देशों में कम दिखाई देने लगा है। एशियन प्लांटेशन कैपिटल कंपनी ने अकीलारिया पेड़ की नस्ल को बचाने के लिए कई देशों में इसका पौधारोपण करवाया जा रहा है ताकि अकीलारिया की नस्ल को बचाई जा सके।
भारत में अकीलारिया का पेड़- भारत के पूर्वोत्तर राज्य में अकीलारिया का पेड़ पाया जाता है। भारत में इस पेड़ की तस्करी भी काफी तेजी से हुई है। असम के जंगलों में अब बहुत कम मात्रा में अकीलारिया का पेड़ देखा जा रहा है। वर्तमान में भारत में केवल 54 खिलाड़ियों का पेड़ मौजूद है। सरकार इनके संरक्षण के लिए लगातार प्रयास कर रही है।