नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ऐसा आदेश जारी कर दिया है, जिसके बाद 18 साल पहले रिटायर हो चुके कर्मचारियों के चेहरे पर काफी रौनक दिख रही है। अब कर्मचारियों के रिटायरमेंट के अगले दिन होने वाली वेतनवृद्धि का रास्ता बिल्कुल क्लीन हो गया है। इस संबंध में यूपी वित्त विभाग ने शासन आदेश जारी कर यह जानकारी दी है।
सरकार ने मंगलवार को सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई। वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार द्वारा जारी किए गए शासनादेश में जानाकारी दी गई कि वेतनवृद्धि की व्यवस्था एक जनवरी 2006 से प्रभावी वेतन समिति उत्तर प्रदेश (2008) की संस्तुतियों के क्रम में लागू की गई है। उन्होंने बताया कि इस इसमें वे सभी कर्मचारी आएंगे, जो साल 2006 के बाद, लेकिन इस शासनादेश से पहले रिटायर हो चुके हैं। उन्हें ये फायदा उसी समय से मिलना लगभग तय माना जा रहा है।
योगी की अध्यक्षता मिला गया बड़ा फैसला
मंगलवार को सीएम योगी अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह चौंकाने वाला फैसला लिया गया है। बैठक संपन्न होने क बाद वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने इस बात की जानकारी दी थी। छठवें वेतन आयोग की संस्तुतियों द्वारा कर्मचारियों की सालाना वेतनवृद्धि हर साल एक जुलाई को की गई थी। इसके साथ ही सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों द्वारा प्रतिवर्ष वेतन वृद्धि एक जनवरी 2016 से लागू करने का काम किया गया था।
कर्मचारियों को वेतनवृद्धि की तारीख एक जुलाई और एक जनवरी को चुनने का विकल्प भी दिया गया है। वहीं, मद्रास, कर्नाटक और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इस मामले में दायर याचिका में 30 जून को रिटायर कर्मचारियों को आगामी वेतनवृद्धि दिए जाने के आदेश जारी किया जा चुका है। ऐसे ही मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई बार एसएलपी खारिज की जा चुकी है।
सरकार के फैसले की हो रही प्रशंसा
जानकारी के लिए बता दें कि 30 जून और 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले राज्य कर्मचारियों की वेतनवृद्धि अगर एक जुलाई और 31 दिसंबर को की जाती थी, उसका फायदा पेंशन और ग्रेच्युटी के रूप में उन्हें नहीं दिया जाता था। बाद में इसे राज्य कर्मचारियों पर भी लागू करने का फैसला लिया गया। अब सेवानिवृत्ति के ठीक आगामी दिन एक जुलाई और एक जनवरी को वेतनवृद्धि नियत होने पर ऐसे कर्मचारियों को पेंशन की गणना एक वेतनवृद्धि जोड़कर की जानी तय मानी जा रही है।