नई दिल्ली: नीतीश कुमार ने जब से महागठबंध छोड़कर एनडीए के सहयोग से सीएम पद की शपथ ली है, तभी से बिहार का सियासी पारा सातवें आसमान पर चढ़ा हुआ है। बिहार की नई नवेली सरकार को अब 12 फरवरी को अपना बहुमत साबित करना है, जिससे पहले आरजेडी और एनडीए की तरफ से एक दूसरे के विधायकों में सेंध लगाने की साजिश की जा रही है।
राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने हाल ही में कहा था कि अभी देखते रहिए खेला बाकी है। जेडीयू नेता की मानें तो ऐसा लग रहा है जैसे आरजेडी के लिए खेला करने की पिच तैयारी की जा रही है।
इतना ही नहीं दूसरी तरफ आरजेडी अब चिंता में भी दिख रही है, क्योंकि 12 फरवरी को बिहार में महत्वपूर्ण शक्ति परीक्षण से दो दिन पहले राजद के 12 विधायकों का पता नहीं चल पा रहा है। फिर ऐसी स्थिति में 12 फरवरी को नीतीश कुमार को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा।
राजद में विद्रोह से धूमिल होगी तेजस्वी की छवि
मीडिया में चल रही खबरों की मानें तो 12 विधायकों में शिवहर विधायक चेतन आनंद जो आनंद मोहन के बेटे हैं और मोकामा विधायक नीलम देवी जो पूर्व विधायक अनंत सिंह की पत्नी हैं। जबकि जेडीयू-बीजेपी के पास पहले से ही बहुमत के लिए पर्याप्त संख्या में सीटें हैं। आरजेडी के अंदर कोई भी विद्रोह तेजस्वी की छवि को और नुकसान पहुंचा सकता है।
जानिए किसके पास कितनी सीटें
सीएम नीतीश कुमार की जेडीयू के पास 43 सीटें हैं, जबकि बीजेपी के पास 74 सीटें हैं और हम के पास चार सीटें हैं, जो 127 है, जो बहुमत के निशान 122 से पांच ज्यादा हैं। दूसरी तरफ, राजद के पास 79 विधायक हैं, जिनमें से 12 लापता बताए जा रहे हैं। राज्य में कांग्रेस के 19 विधायक हैं। बीजेपी के साथ पाला बदलने के बाद नीतीश कुमार ने 28 जनवरी को रिकॉर्ड नौवीं बार बिहार के सीएम पद की शपथ ली।
अगर लापता आरजेडी विधायक विधानसभा में कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का समर्थन करते हैं, तो सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 139 विधायकों का समर्थन होगा। जानकारी के लिए बता दें कि नीतीश कुमार 28 जनवरी को महगठंधन से नाता तोड़कर एनडीए के साथ सरकार बनाई थी। वे 9वीं बार बिहार के सीएम बन गए हैं।