भारत और वेस्टइंडीज की टीमों के बीच त्रिनिदाद के मैदान पर जब दूसरे टेस्ट मुकाबले की शुरुआत हुई तब वह तेज़ गेंदबाज़ मुकेश कुमार के लिए एक खास लम्हा बन गया। लंबे समय से भारतीय टीम का हिस्सा रहने के बाद मुकेश कुमार को आखिरकार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पदार्पण करने का मौका मिल ही गया। पोर्ट ऑफ स्पेन के क्वींस पार्क ओवल के मैदान पर खेला जा रहा मैच भारत और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का 100वां मुकाबला भी है।
बनना चाहते थे सिपाही
तेज़ गेंदबाज़ मुकेश कुमार को भारतीय टीम में ऑलराउंडर शार्दुल ठाकुर की जगह मौक़ा दिया गया है, जो इस मुकाबले से कुछ समय पहले ही अनफिट होने की वजह से प्लेइंग 11 का हिस्सा नहीं बन सके। टीम इंडिया की तरफ से डेब्यू करने वाले मुकेश कुमार बिहार के गोपालगंज ज़िले के रहने वाले हैं और मुकेश ने अपने जीवन के शुरुआती दौर में काफी गरीबी देखी है। लेकिन, इसके बावजूद वह संघर्ष करने से ज़रा भी पीछे नहीं हटे।
भारतीय टीम के इस तेज़ गेंदबाज के लिए यहां तक का सफर तय करना बिल्कुल आसान नहीं था। गरीब परिवार में जन्म लेने वाले मुकेश कुमार के पिता को घर का खर्च चलाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।मुकेश के पिता बिहार से कोलकाता चले गए और वहीं जाकर उन्होंने घर के ख़र्च के लिए ऑटो चलाने का फैसला किया।
मुकेश भारतीय सेना के एक सिपाही बनना चाहते थे, जिसकी उन्होंने 3 बार परीक्षा भी दी थी। लेकिन, मुकेश इस परीक्षा को पास नहीं कर सके थे। उस वक़्त मुकेश काफी हताश हो गए थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। इसके बाद मुकेश कुमार ने क्रिकेट की तरफ रुख किया और आज आलम यह है कि उन्हें भारत की तरफ से क्रिकेट खेलने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है।