नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली सरकार के कानून मंत्री कपिल मिश्रा (Kapil Mishra) को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में कपिल मिश्रा की कथित भूमिका के संबंध में उनके खिलाफ आगे की जांच और एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। दिल्ली दंगा मामले में कपिल मिश्रा की कथित भूमिका की जांच के लिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा पेश की गई सामग्री के आधार पर पता चलता है कि दंगा के समय कपिल मिश्रा कर्दम पुरी इलाके में मौजूद थे और संज्ञेय अपराध पाया गया है, जिसकी जांच की जरूरत है।
दलीलें सुन रहे थे
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने कहा कि इस मामले में जांच की जरूरत है। न्यायाधीश ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि कथित अपराध के समय मिश्रा इलाके में थे। इसमें आगे की जांच की जरूरत है।’ मजिस्ट्रेट यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास द्वारा एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर दलीलें सुन रहे थे। दिल्ली पुलिस ने इस याचिका का विरोध किया और दावा किया कि दंगों में मिश्रा की कोई भूमिका नहीं थी। कपिल मिश्रा के अलावा मोहम्मद इलियास ने दयालपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी और 5 अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी।
इन 5 लोगों में बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट और पूर्व विधायक जगदीश प्रधान भी शामिल हैं। इससे पहले मार्च में दिल्ली हाईकोर्ट ने कपिल मिश्रा के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक बयान देने और 2020 में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले में अधीनस्थ अदालत की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
नोटिस भी जारी किया
सत्र अदालत के उस आदेश को चुनौती देने वाली भाजपा नेता की याचिका पर न्यायमूर्ति रवींद्र डुडेजा ने दिल्ली पुलिस को नोटिस भी जारी किया था। न्यायाधीश ने कहा था कि अधीनस्थ अदालत की सुनवाई पर रोक लगाने की कोई जरूरत नहीं है। अधीनस्थ अदालत मामले में आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र है। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 मई की तारीख तय की है, जबकि अधीनस्थ अदालत के समक्ष मामला 20 मई को सूचीबद्ध है। बता दें कि 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे हुए थे। 24 फरवरी 2020 को हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इस मामले में ताहिर हुसैन भी आरोपी है और जेल में है।
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