लखनऊ: उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) जिले में भी औरंगाबाद नाम को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। दरअसल, विश्व वैदिक सनातन न्यास नामक हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी के औरंगाबाद क्षेत्र का नाम बदलकर लक्ष्मी जी या अन्य देवी-देवताओं के नाम पर रखने के लिए मेयर और नगर आयुक्त को ज्ञापन दिया है। हालांकि, इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों की मिली-जुली राय है। लोगों का कहना है कि नाम बदलना कोई मुद्दा नहीं है, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह क्षेत्र शिवाजी के नाम से जाना जाता रहा है और इसका नाम उन्हीं के नाम पर रखा जाना चाहिए।

स्वीकार नहीं किया जाएगा

विश्व वैदिक सनातन न्यास के संतोष सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि औरंगजेब एक आक्रमणकारी था और काशी एक सांस्कृतिक नगरी है। औरंगजेब ने देश के प्राचीन धार्मिक स्थलों को काफी नुकसान पहुंचाया है, उसमें काशी भी शामिल है। इस आधार पर उसके नाम पर किसी शहर या स्थान को स्वीकार नहीं किया जा सकता। हम इस क्षेत्र का नाम लक्ष्मी जी, सनातन धर्म के देवी-देवताओं या भारत के महापुरुष कलाम साहब जैसे व्यक्तित्व के नाम पर स्वीकार करेंगे। लेकिन औरंगाबाद नाम कहीं से भी स्वीकार नहीं किया जाएगा.

बदलने से कुछ नहीं होता

पत्र देने के बाद महापौर और नगर आयुक्त ने आश्वासन दिया है कि अगली बैठक में इस विषय पर आधारित प्रस्ताव रखा जाएगा. एबीपी न्यूज ने औरंगाबाद के स्थानीय लोगों से भी बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि- इस जगह का नाम शिवाजी औरंगाबाद था लेकिन इसे औरंगाबाद के नाम से जाना जाता है. दारासिको और अन्य औरंगजेब के सैनिक यहां पहुंचे थे और तब से यह इलाका इसी नाम से जाना जाता है. कुछ लोग औरंगाबाद का नाम बदलने पर सहमत थे. वहीं, कुछ लोगों ने कहा कि नाम बदलने से कुछ नहीं होता.

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