अखिलेश यादव के वोट बैंक का खुला गहरा राज! क्या यूपी में फिर दौड़ेगी साइकिल?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक बार फिर धर्म और जाति की राजनीति गरमा गई है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश में दलितों […]

The deep secret of Akhilesh Yadav's vote bank has been revealed! Will the cycle run again in UP

लखनऊ:उत्तर प्रदेश में एक बार फिर धर्म और जाति की राजनीति गरमा गई है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश में दलितों पर हो रहे अत्याचार का है, लेकिन दलितों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ जाति और धर्म को हथियार बनाकर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) वोट बैंक के लिए दलित प्रेम दिखाते हैं। भाजपा ने एक बार फिर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव को कटघरे में खड़ा किया है। ताजा मामलों का हवाला देते हुए भाजपा ने सवाल उठाया है कि जब आरोपी मुस्लिम या यादव समुदाय से हैं तो दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर अखिलेश यादव चुप क्यों रहते हैं?

बेटियों के साथ गंभीर अपराध किए

भाजपा का आरोप है कि अखिलेश यादव का दलित प्रेम महज चुनावी नारा है, असल में वह अपना वोट बैंक बचाने के लिए दलितों के दर्द पर आंखें मूंद लेते हैं। सपा प्रमुख ने तीन जिलों में दलित बेटियों पर हुए अत्याचार पर भी एक शब्द नहीं कहा। भाजपा ने कहा- बोलेंगे तो वोट बैंक शिफ्ट हो जाएगा भाजपा नेताओं ने पिछले रविवार की तीन घटनाओं का जिक्र किया।

जहां तीन अलग-अलग जिलों बुलंदशहर, रायबरेली और मुजफ्फरनगर में मुस्लिम युवकों ने दलित समुदाय की नाबालिग बेटियों के साथ गंभीर अपराध किए। बुलंदशहर में चार मुस्लिम युवकों पर जाटव समुदाय की लड़की को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने का आरोप है, जबकि रायबरेली में आदिल नामक युवक ने रैदासी समुदाय की लड़की का अपहरण किया। मुजफ्फरनगर में बाबर उर्फ सोनू ने फर्जी नाम से दलित लड़की को फंसाया, नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया और जबरन धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की।

डीएनए जांच की बात कही

भाजपा ने पूछा कि क्या अखिलेश यादव तभी बोलते हैं जब आरोपी दूसरी जाति या धर्म का हो? हाल के वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें मुस्लिम और यादव समुदाय के लोगों पर दलितों पर अत्याचार के आरोप लगे। इनमें अयोध्या, मैनपुरी, बस्ती, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, लखीमपुर खीरी और मथुरा जैसी जगहों की घटनाएं शामिल हैं, लेकिन सपा प्रमुख ने कभी इसकी निंदा नहीं की। मार्च 2025 में बागपत में सपा जिला अध्यक्ष और उसके भाई पर नाबालिग दलित लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगा, लेकिन अखिलेश यादव चुप रहे। नवंबर 2024 में मैनपुरी में एक दलित लड़की का बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी गई।

ब्लैकमेल करने का मामला दर्ज हुआ

आरोपी सपा नेता बताया गया। फिर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। 2024 में ही अयोध्या में सपा नेता मोईद खान के खिलाफ नाबालिग दलित लड़की से दुष्कर्म करने और उसका वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने का मामला दर्ज हुआ, लेकिन अखिलेश ने डीएनए जांच की बात कही। इतना ही नहीं, फरवरी 2025 में मथुरा में दो दलित बहनों की शादी में यादव समुदाय के लोगों ने बाधा डाली और बारात पर हमला किया।

एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ, लेकिन सपा नेता चुप रहे। भाजपा नेताओं का कहना है कि अखिलेश यादव सिर्फ ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठबंधन की बात करते हैं, लेकिन असलियत में वह अपने कोर वोट बैंक मुस्लिम और यादवों को नाराज नहीं करना चाहते। इसलिए जब इन समुदायों के लोग दलितों पर अत्याचार करते हैं, तो सपा प्रमुख चुप रहते हैं।

प्रतिक्रिया कमजोर रही थी

राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि सपा की यह रणनीति लंबे समय से चल रही है। सपा के शासनकाल (2012-2017) में दलितों पर अत्याचार के कई मामले सामने आए थे, लेकिन तब भी सरकार की प्रतिक्रिया कमजोर रही थी। यही वजह है कि बसपा प्रमुख मायावती भी कई बार सपा पर दलित विरोधी राजनीति का आरोप लगा चुकी हैं। भाजपा ने अखिलेश से पूछा है कि अगर वह वाकई दलितों के हितैषी हैं तो इन घटनाओं पर खुलकर क्यों नहीं बोलते? क्या उनका दलित प्रेम सिर्फ चुनावी मौसम में ही जागता है? अब देखना यह है कि सपा प्रमुख इन सवालों का जवाब देते हैं या एक बार फिर चुप्पी साध लेंगे।

ये भी पढ़ें: MCD मेयर का चुनाव में इस पार्टी ने किया खेला, कर दी ऐसी बात बीजेपी को लगा बड़ा झटका!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *